चकई के चकदुम


चकई के चकदुम, चकई के चकदुम!
गाँव की मडैया, साथ रहें हम-तुम।

चकई के चकदुम, चकई के चकदुम!
ग्वाले की गैया, दूध पिएँ हम-तुम।

शब्दार्थ: मडैया-झोंपड़ी। ग्वाला-गाय पालने वाला। गैया-गाय।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि बच्चों से एक बड़ा ही रोचक खेल ‘चकई के चकदुम’ खेलने के लिए कहता हैं। कवि कहता है कि हम-तुम मिलकर गाँव की झोंपड़ी में रहें और ग्वाले की गाय का दूध साथ मिलकर पिएँ।

चकई के चकदुम, चकई के चकदुम!
कागज़ की नैया, पार करें हम-तुम।

चकई के चकदुम, चकई के चकदुम!
फुलवा की बगिया, फूल चुनें हम-तुम।

चकई के चकदुम, चकई के चकदुम!
खेल खतम भैया! आओ चलें हम-तुम!

शब्दार्थ : नैया-नाव। बगिया-फुलवारी।

व्याख्या : उपर्युक्त पंक्तियों में कवि बच्चों से कागज की नाव बनाकर पानी में तैराने के लिए कहता हैं। वह कहता है कि हम-तुम मिलकर फुलवा की बगिया (फुलवारी) से फूल चुनें। अंत में वे खेल समाप्ति की घोषणा करते हुए अपने-अपने घर चलने के लिए कहते हैं।


Question


Question 1 :

कविता में कहाँ की मड़ैया का वर्णन किया गया है ?


1. गाँव की
2. विद्यालय की
3. घर की
4. शहर की
Answer
1521

Question 2 :

कविता में गाय किसकी है?


1. व्यापारी की
2. ग्वाले की
3. राजा की
4. नौकर की
Answer
1522

Question 3 :

बगिया में क्या है?


1. कांटे
2. फूल
3. पानी
4. कीचड़
Answer
1523

Question 4 :

चकई के चकदुम कविता में 'हम -तुम' का प्रयोग कितनी बार किया गया है ?


1. चार बार
2. पाँच बार
3. छह बार
4. तीन बार
Answer
1524

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